प्रेम का सन्देश : प्रेम रावत जी के साथ विशेष उत्सव
प्रेम रावत जी के विश्व भर में आंतरिक शांति सिखाने के संकल्प के 52 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में।
वेबसाइट और ऐप दोनों पर उपलब्ध।
हमारी शुभ कामनाओं सहित प्रेम रावत जी का व्यक्तिगत संदेश देखें ।
इस विशेष उत्सव के पूरे वीडियो या ऑडियो का आनंद लें।
यह विशेष वीडियो भारत की प्राचीन परंपरा के सम्मान में है जो एक शिक्षक और शिष्य के सम्बन्ध को दर्शाती है और इसी दिन प्रेम रावत जी के मात्र आठ वर्ष की आयु में आत्मज्ञान का शिक्षक बनने का स्मरण भी कराती है।
प्रेम रावत जी पिछले पांच दशकों में विश्व भर में शांति और मानवता के लिए किये गए अपने अथक प्रयासों को व्यक्त करते हैं, जिनमें लाखों लोग उनसे लाइव कार्यक्रमों, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं ।
वीडियो और ऑडियो हिंदी में है, जो इंग्लिश और स्पेनिश अनुवाद में भी उपलब्ध है।
नोट : यदि आप कार्यक्रम का शुरूआती वीडियो छोड़ना चाहते हैं तो कृपया नोट करें कि प्रेम रावत जी का मुख्य सम्बोधन 14 मिनट 18 सेकण्ड से शुरू होगा।
प्रेम का सन्देश : प्रेम रावत जी के साथ विशेष उत्सव
प्रेम रावत जी के विश्व भर में आंतरिक शांति सिखाने के संकल्प के 52 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में।
वेबसाइट और ऐप दोनों पर उपलब्ध।
हमारी शुभ कामनाओं सहित प्रेम रावत जी का व्यक्तिगत संदेश देखें ।
इस विशेष उत्सव के पूरे वीडियो या ऑडियो का आनंद लें।
यह विशेष वीडियो भारत की प्राचीन परंपरा के सम्मान में है जो एक शिक्षक और शिष्य के सम्बन्ध को दर्शाती है और इसी दिन प्रेम रावत जी के मात्र आठ वर्ष की आयु में आत्मज्ञान का शिक्षक बनने का स्मरण भी कराती है।
प्रेम रावत जी पिछले पांच दशकों में विश्व भर में शांति और मानवता के लिए किये गए अपने अथक प्रयासों को व्यक्त करते हैं, जिनमें लाखों लोग उनसे लाइव कार्यक्रमों, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं ।
वीडियो और ऑडियो हिंदी में है, जो इंग्लिश और स्पेनिश अनुवाद में भी उपलब्ध है।
नोट : यदि आप कार्यक्रम का शुरूआती वीडियो छोड़ना चाहते हैं तो कृपया नोट करें कि प्रेम रावत जी का मुख्य सम्बोधन 14 मिनट 18 सेकण्ड से शुरू होगा।
एक झलक:
भगवान ने तुमको दी है ये गाड़ी, ये मनुष्य शरीर, ये जीवन। इस गाड़ी में इंजन है। है कि नहीं ? और इस गाड़ी को फ्यूल चाहिए, पेट्रोल चाहिए, रोटी चाहिए, दाल चाहिए, चावल चाहिए यही तो उसका फ्यूल है। इसी से चलती है ये। इसमें ब्रेक भी है। ब्रेक है यहां (दिमाग की तरफ इशारा) और एक्सीलरेटर भी है। वो कहां है ? वो भी यहां है (दिमाग की तरफ इशारा)। ब्रेक और एक्सीलरेटर पास-पास होते हैं। ब्रेक भी है, एक्सीलरेटर भी है। पेट्रोल भी भगवान ने बनाया। नहीं ? अच्छा इसमें पानी भी पड़ता है। पानी भी भगवान ने बनाया है। इंजन भी है इसका यहां। एक चीज स्टीयरिंग भी होगा। स्टीयरिंग भी होगा। वो किसके हाथ है ? .... वो स्टीयरिंग जो है इस गाड़ी का वो किसके हाथ है?
- श्री प्रेम रावत
एक झलक:
भगवान ने तुमको दी है ये गाड़ी, ये मनुष्य शरीर, ये जीवन। इस गाड़ी में इंजन है। है कि नहीं ? और इस गाड़ी को फ्यूल चाहिए, पेट्रोल चाहिए, रोटी चाहिए, दाल चाहिए, चावल चाहिए यही तो उसका फ्यूल है। इसी से चलती है ये। इसमें ब्रेक भी है। ब्रेक है यहां (दिमाग की तरफ इशारा) और एक्सीलरेटर भी है। वो कहां है ? वो भी यहां है (दिमाग की तरफ इशारा)। ब्रेक और एक्सीलरेटर पास-पास होते हैं। ब्रेक भी है, एक्सीलरेटर भी है। पेट्रोल भी भगवान ने बनाया। नहीं ? अच्छा इसमें पानी भी पड़ता है। पानी भी भगवान ने बनाया है। इंजन भी है इसका यहां। एक चीज स्टीयरिंग भी होगा। स्टीयरिंग भी होगा। वो किसके हाथ है ? .... वो स्टीयरिंग जो है इस गाड़ी का वो किसके हाथ है?
- श्री प्रेम रावत
एक झलक:
अंगूठी कई बार डब्बे में आती है। नहीं ? लाल जैसा डब्बा होता है, उसमें आती है। नहीं ? अच्छा! आपकी समझ में अंगूठी की कीमत ज्यादा है या डब्बे की कीमत ज्यादा है ? अंगूठी! तो बिना अंगूठी के डब्बा क्या है ? कुछ नहीं है। पर जबतक उस डब्बे में अंगूठी है, तबतक आप उस डब्बे की भी देखभाल करेंगे। नहीं ? उसको ठीक ढंग से रखेंगे। जबतक उसमें अंगूठी है। और जब उसमें से अंगूठी निकल गई......। जबतक इस डब्बे में {शरीर की तरफ इशारा करते हुए} ये स्वांस आ रहा है, जा रहा है, आपको इस डब्बे की कीमत समझनी है। और जिस दिन इसमें से ये स्वांस आना-जाना बंद हो जाएगा, इस डब्बे की कोई कीमत नहीं रहेगी। पर जबतक है, तबतक इस डब्बे की कीमत उतनी ही है, जितनी उस अंगूठी की है।
- प्रेम रावत
एक झलक:
अंगूठी कई बार डब्बे में आती है। नहीं ? लाल जैसा डब्बा होता है, उसमें आती है। नहीं ? अच्छा! आपकी समझ में अंगूठी की कीमत ज्यादा है या डब्बे की कीमत ज्यादा है ? अंगूठी! तो बिना अंगूठी के डब्बा क्या है ? कुछ नहीं है। पर जबतक उस डब्बे में अंगूठी है, तबतक आप उस डब्बे की भी देखभाल करेंगे। नहीं ? उसको ठीक ढंग से रखेंगे। जबतक उसमें अंगूठी है। और जब उसमें से अंगूठी निकल गई......। जबतक इस डब्बे में {शरीर की तरफ इशारा करते हुए} ये स्वांस आ रहा है, जा रहा है, आपको इस डब्बे की कीमत समझनी है। और जिस दिन इसमें से ये स्वांस आना-जाना बंद हो जाएगा, इस डब्बे की कोई कीमत नहीं रहेगी। पर जबतक है, तबतक इस डब्बे की कीमत उतनी ही है, जितनी उस अंगूठी की है।
- प्रेम रावत